अफगानिस्तान से पत्रकार की डायरी:‘मेरी सगी बहन तालिबान के कब्जे वाले इलाके में फंसी है, एक-दूसरे से बात कर रो लेने के अलावा हमारे पास कोई चारा नहीं है’

अफगानिस्तान से पत्रकार की डायरी:‘मेरी सगी बहन तालिबान के कब्जे वाले इलाके में फंसी है, एक-दूसरे से बात कर रो लेने के अलावा हमारे पास कोई चारा नहीं है’
{$excerpt:n}