जज्बे को सलाम:जब बीमार पत्नी, बच्ची और बूढ़े मां-बाप को छोड़ सूरत सिंह बने थे आजादी के आंदोलन का हिस्सा

1930 में दांडी यात्रा में शामिल रहे, लाहौर से सियालकोट तक काटी जेल
जज्बे को सलाम:जब बीमार पत्नी, बच्ची और बूढ़े मां-बाप को छोड़ सूरत सिंह बने थे आजादी के आंदोलन का हिस्सा
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